दिलां का मरहमी कोई न मिलाया, जो मिलाया सो ग्ज़ी,
कहें कबीर आसमान फटा है, क्यों कर सीये दर्ज़ी
साहिब बंदगी आध्यात्मिक संस्था की स्थापना
संत सतगुरु मधु परमहंसजी ने वर्ष 1992 में की थी। वे वास्तव में इस दुनिया में एकमात्र संत सतगुरु हैं जो पूरी तरह से निराकार मन और शरीर (माया) पर शासन करते हैं। वे आध्यात्मिकता और धर्म के हर पहलू को जानते हैं। वे इस ब्रह्मांड बनने के पीछे के रहस्यों को भी भलीभांति जानते हैं।
साहिब बंदगी आध्यात्मिक संस्था विशुद्ध रूप से गैर-व्यावसाइक संस्था है, जिसका दुनिया भर के किसी भी व्यावसायिक या राजनीतिक संगठन से कोई संबंध नहीं है। संत सतगुरु मधु परमहंस साहिब जिनको सभी
"साहिबजी"
कहते हैं - अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से एक व्यक्ति की आत्मा को सत्य भक्ति के मार्ग का अनुसरण करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
सन 1992 में स्थापित साहिब बंदगी आध्यात्मिक संस्था आज देश और विदेश में फैली हुई है। आज, दुनिया भर में लाखों लोग उनके भक्त हैं और उनको साहिबजी ने संजीवन नाम दे कर अपनी विचारधारा से जोड़ा है। वे इस नाम की शक्ति से एक व्यक्ति की आत्मा को निराकार मन के चंगुल से मुक्त कराते हैं यानी जन्म और मृत्यु के अंतहीन चक्र से मोक्ष दिलाते हैं।
साहिबजी नें शरीर, मन, आत्मा, ब्रह्मांड, ५ तत्व, भगवान, सरगुन भक्ति, निर्गुण भक्ति और सत्य भक्ति से संबंधित सभी छिपे रहस्यों को उजागर किया है। उनके प्रवचन बहुत सरल होते हैं लेकिन उनका अर्थ बड़ा गहरा होता है जो किसी व्यक्ति की आत्मा को जागृत करके मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य का एहसास कराते हैं अर्थात् निर्वाण प्राप्ति।
साहिब जी परमपिता, परम प्रभु, सत्य भक्ति, संत, सतगुरु, संतमत, सार नाम और मोक्ष के बारे में हर मिथक को तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से अपने भक्तों के जीवन को बदलकर समाज में धार्मिक और आध्यात्मिक क्रांति लाई है। साहिब बंदगी आध्यात्मिक संस्था का पंजीकरण संत गिरधरानंद परमहंस संत आश्रम के नाम से है। हमारा पंजीकरण संख्या: 1895 / S / 1992 भारत सरकार के सक्षम अधिकारियों के मातहत है। इस संस्था को
"साहिब बंदगी"
के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है परमपिता (साहिब) को प्रणाम (बंदगी) जो आत्मा के रूप में हर जीवित प्राणी में मौजूद है।